brahmakumaris nagpur
Women Conference 2025
विश्व शांति सरोवर में ‘‘सामाजिक एकता, विश्वास और सद्भावना के निर्माण में महिलाओं की भूमिका‘‘ विषय पर महिला सम्मेलन सम्पन्न
की दशा से जान सकते है – राजयोगिनी बीके चक्रधारी दीदी जी
उन्होंने आगे कहां आजकल बच्चों को संभालने के लिये आया रखते है। बच्चे आया से पलेंगे तो कौन से संस्कार लेंगे। एक काउंसलिंग का अनुभव उन्होने ने साझा करते हुए कहां कि एक बेटा कॉन्सेलेर के पास गया और अपने मॉं के बारे में बता रहा था की उसकी मॉ अफीम लेती है उसके लिए वह मुझसे पैसे मांगती है। मॉं को पूछने पर उसने स्वीकार किया की वह अफीम खाती है तो उन्होंने कहा की मै अपने एकलौते बच्चे को अच्छा पढाने के खातीर दो समय काम करती थी तो ज्यादा काम करने के लिए किसी ने उनको कहां कि थोड़ा रात को अफीम खाओ तो थकेंगे नहीं और अपने को रिलैक्स महसूस करेंगे तो उन्होने अपने बेटे के खातिर खाना शुरु कर दिया और इस आदत को डालकर अच्छा कमा के बच्चे को बड़े पद के लायक बनाया। यहां मां ने बच्चे को ऊँच पद के लायक बना दिया लेकिन उसे प्रेम और प्यार के गुण से सजाया नहीं। यह भावना बच्चों में नहीं भरी, यह मेरी मां है, तो मां के प्रति भी मेरा कुछ कर्तव्य बनता है। बच्चे के प्यार के खातिर ही मॉं इसकी आदती हुई लेकिन प्यार , प्रेम के कारण मां इस आदत को तिलांजलि भी दे सकती थी।
आजकल हर मा बाप सोचते है कि बच्चे पढ़ लिख कर होशियार हो जाये उसको स्विमिंग भी आने चाहिए, डांस भी आना चाहिए, म्यूजिक भी आना चाहिए हर एक चीज उसने सीखनी चाहिये परंतु यह नहीं सोचते कि जीवन में यदि उसके कुछ परिस्थितियां आ जाये तो कई प्रकार के जीवन में कष्ट या अचानक घटनाएं आये तो उसको इस तरह का ज्ञान देकर सशक्त किया जाये ताकि जीवन में आने वाली हर समस्या का वह डटकर सामना कर सके और वह सुखी, खुश और शांत रह सके।
उन्होंने बताया की, जब हम बच्चे थे तो सुबह मंदिर में जाते थे। पर आज मॉ खुद 10 बजे उठ रही है तो मंदिर में बच्चों को कब ले जाएंगी। भारत की संस्कृति बहुत श्रेष्ठ थी। अपने संस्कृति को तिलांजली ना दे। उन्होंने अमेरिका की बात कही की एक औरत एक कब्र को पंखा दे रही थी तो विवेकानंद उनके पास गए और कहा की हवा कब्र के आपके पति तक नही पहुचंेगी। तब उस महिला ने कहा की हमारी संस्कृती है जब तक मिट्टी सुखती नही मै दुसरी शादी नहीं कर सकती। कैसी संस्कृति है ? भारत की संस्कृति ऐसी थी की मेरी अर्थी मेरे पति के कंधे पर जाये। आज कितने रेप हो रहे है भारत की महिला यूनिटी नही है तब ही हो रहे है।
एक बेटा पत्नी के बातो में आकर अपने बूढ़े बीमार खासते हुए पिता को घर से वृद्धाश्रम में भेजने की योजना थी। पर पिता ने ही अपने बेटे को कहा की घर को वृद्धाश्रम बना देता हूॅं क्योंकी मै बूढ़ा हो चुका हॅू। सब वृद्ध मेरे साथ एक साथ रहेंगे तो मेरा जीवन सुख से कट जाएंगा। तू अपने पत्नी के साथ दूसरा मकान बना ले और तू भी सुखी रहेगा। इसमें एक बात सोचने की है की मकान पिता का है और बच्चा बाप को घर से निकाल देता है। यह आज की विडंबना है। परिवारों में अगर एकता हो जाए तो समाज, देश में तरक्की हो सकती है।
माउंट आबू से पहुंची महिला प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजक डॉ सविता दीदी जी ने ब्रह्माकुमारी संस्था की देश दुनिया में महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रमों को विस्तार से बताते हुए कहा कि विश्व एक परिवार है। महिलाएं ही परिवार की इकाई हैं और एक महिला परिवार की धुरी हैं और वही बच्चों में ये संस्कार देती हैं। क्योंकि बच्चे माँ के समीप अधिक समय रहते हैं इसलिये वो ही बच्चे की प्रथम शिक्षिका हैं और हम ये भी देखते हैं कि आज विद्यालयों में महिलाएं शिक्षिक है। बच्चे जब पढते है ये वो समय होता है जब बच्चों में संस्कार सिंचन किये जाते हैं। बालक कच्ची मिटी के समान होता है और जैसे कुंभार मिट्टी को जो आकार देना चाहें, वो आकार दे पाता है। तो इस समय हम उनको जो दिशा देते हैं, जो मुल्य देते है वह जीवनपर्यंत रहते है। तो यहां ही अगर उनको वो सामाजिक एकता का पाथ पढ़ाया जाता है या आपस में प्रेम और विश्वास से हम कैसे रहें। प्रेम एक ऐसा गुन है जो एकता को लेकर आता है। इसी लक्ष्य से मांऊट आबू में मंे हर वर्ष एक या दो सम्मेलन होते हैं और इसके अलावा भी ब्रह्माकुमारी के बड़े बड़े शहरों में रिट्रीट सेंटर्स बने हुए हैं जैसे ये नागपूर का है और पारिवारिक मूल्यों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। उनके लिए निशुल्क राजयोग शिविरों का भी आयोजन किया जाता है ताकि वो अपने में आत्मविश्वास आत्मरक्षा का अनुभव करते रहें।
जिल्हा महिला बाल विकास अधिकारी कार्यालय की ओर से आये बहनों ने महिलाओं की सुरक्षा हेतु सभी महिलाओं से प्रतिज्ञा करायी गयी। मुंबई से पधारे ब्रह्माकुमारी माला दीदी जी, जोनल कोऑर्डिनेटर ने राजयोग मेडिटेशन की अनुभूती सबको करायी।
कार्यक्रम में महिलाओं की प्रतिभा को मंच प्रदान करने हेतु विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य ही है महिलाओं की रचनात्मक, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा को बढावा देना है। इसमें महिलाओं ने स्वरचित कविता, भाषण, रंगोली निर्माण, सीटेड डांस परफॉर्मेंस, मेहंदी डिजाइन प्रतियोगिता में बढ़चढ़कर भाग लिया।
प्रतियोगिताओं के मूल्यांकन हेतु क्षेत्र के प्रतिष्ठित एवं निपुण निर्णायक भी उपस्थित थे। प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार प्रदान किये गये। सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरण किये गये।
ब्रह्माकुमार प्रेमप्रकाश भाई जी ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन बीके दमयंती दीदी ने किया। सभी ने 4 बजे से आनंद मेला में अलग अलग व्यंजन तथा मूल्य आधारित गेम्स का आनंद लिया।











