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मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

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संघ और ब्रह्माकुमारीज़ का उद्देश्य एक ही है, बस रास्ता अलग-अलग है: डॉ. मोहन भागवत

– राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने लिया मुख्य अतिथि के रूप में भाग
– संपूर्ण दुनिया को सुख-शांतियुक्त सुंदर बनाने वाला काम कर रही है ब्रह्माकुमारीज़
– मुख्यालय आबूरोड से पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने लिया भाग

ब्रह्माकुमारीज़ नागपुर के विश्व शांति सरोवर का सातवां वर्धापन दिवस मनाया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ मनुष्य के कल्याण का काम है। अपने पूरे राष्ट्र के हित का काम है और संपूर्ण दुनिया को सुख-शांतियुक्त सुंदर बनाने वाला काम है। यह एक पंथ पर तीन-तीन काज हैं। इस दिशा में हम कामकाज करने में लगे हैं। ब्रह्माकुमारीज़ शील और चरित्र जगाते हैं और चरित्र जगाने का आधार है- शरीर-मन-बुद्धि के परे जाकर अपने अंतर की यात्रा करना। संघ भी कहता है कि बनना है तो अंदर से बनो। चारित्र के अंदर शील होता है। बाहर का बोलना, चलना, फिरना ठीक करना है तो अंदर की प्रवृत्ति ठीक होना चाहिए। उसके लिए गहराई में अंदर उतरकर वहां से हम सब ठीक करते हैं। सबका तरीका अपना-अपना है लेकिन मूल में एक ही है- अंदर को जगाओ। एक ही उद्देश्य को लेकर परस्पर कार्य करने वालों को परस्पर पूरक होना आवश्यक है। हम आपस में परस्पर सहयोगी होकर चलें, परस्पर बाधक न बनें। जैसे ब्रह्माकुमारीज़ सेवाओं के विस्तार के लिए किसी से कोई खर्चा नहीं मांगते हैं, वैसे ही संघ भी कार्य करता है। संघ को सभी मिलकर चलाते हैं। आज दुनिया की आवश्यकता है कि भारतवासी फिर से भरपूर होकर दुनिया को सिखाएं। उन्होंने कहा कि मैं बहुत जल्द माउंट आबू आऊंगा। मैं ज्ञान देने के लिए नहीं सीखने के भाव से माउंट आबू आऊंगा।

दुनिया में सारा झगड़ा स्व का है-
डॉ. भागवत ने कहा कि सभी एक परमात्मा की संतान हैं। सारी सृष्टि उसकी बनाई है। दुनिया में सारा झगड़ा स्व का है। जब यह भावना हो जाती है कि मुझे चाहिए तो हम दूसरे के हित के बारे में नहीं सोचते हैं। दुनिया में यह डर रहता है कि यह बड़ा होगा तो हमारा क्या होगा। भारत बड़ा होगा तो हमारा स्थान कहां होगा। इसलिए ट्रैरिफ लागू करो। जिसने किया था उसको थोड़ा पुचकार रहे कि भारत साथ रहेगा तो थोड़ा दबाव बना रहेगा। यह बातें मैं और मेरा के चक्कर में की जा रही हैं। जब हमें यह समझ में आता है कि मैं और मेरा मतलब हम और हमारा है तो सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। विश्व को आज सॉल्युशन चाहिए। उन्होंने अपनी अधूरी दृष्टि से हल निकालने का प्रयास किया लेकिन नहीं मिला, क्योंकि मिलना संभव नहीं है। पैसा तो मुर्गी भी नहीं खाती है, यह सिर्फ भारत में सुनाई देता है, भारत के बाहर सुनाई नहीं देता है।

भागवत बोले- राष्ट्र के नाते भारत अपनेआप को जानता है
डॉ. भागवत ने कहा कि अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥ क्योंकि हमें यह कनेक्शन पता है। यह भाव हमारे अंदर है लेकिन हमारी कृति से भी दिखना चाहिए। भारत पहले से भरपूर है, जरूरत है तो भारतवासियों को भरपूर होने की। इसलिए भारतवासियों को इस तरह का ज्ञान देने वाले समय-समय पर आते हैं। जैसे गीता के भगवान आए, जैसे शिव बाबा आए। कई तरह की कार्यपद्धति को लेकर काम करने वाले प्रवाह आज भारत में विद्यमान हैं। उसमें एक बहुत बड़ा विराट प्रयास ब्रह्माकुमारीज़ का है। ब्रह्माकुमारीज़ में भैया-बहनों का रिश्ता है तो सारी समस्याएं यहीं खत्म हो जाती हैं। भारत में हाथठेला चलाने वाला भी पेड़ की छांव में आराम से सोता है और अन्य देशों में करोड़ों कमाने वाले भी नींद की गोलियां लेकर भी नहीं सो पाते हैं। हमारे पास अपनापन है, इसलिए हमारे पास संतोषधन है।

आबूरोड से प्रतिनििधमंडल ने लिया भाग-
कार्यक्रम में शांतिवन मुख्यालय से पहुंचे अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आज पूरे विश्व को शांति, प्रेम, सद्भावना, एकता की आवश्यकता है। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी ने कहा कि भारत वह महान भूमि है जिसने दुनिया को जो विचार दिया है वह कोई और नहीं दे सकता है। भारत में ही रामराज्य था और फिर से रामराज्य बनेगा। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके ऊषा दीदी ने भी संबोधित किया। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शारदा दीदी ने सभी को राजयोग मेडिटेशन से गहन शांति की अनुभूति कराई।

शॉल पहनाकर और स्मृति चिंहृ देकर किया सम्मान-
आरएसएस प्रमुख भागवत का अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी ऊषा दीदी और शांतिवन आवास-निवास के प्रभारी बीके देव भाई ने भी स्वागत किया। वहीं भागवत नागपुर की संचालिका बीके रजनी दीदी और संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी का शॉल पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान पीआरओ बीके कोमल ने संस्थान की सेवाओं की वार्षिक सेवा रिपोर्ट सेवांजली भेंट करते हुए सामाजिक सेवाओं के बारे में बताया।